यूपी बोर्ड से जुड़े हुए प्रदेशभर के 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ व दस के 50 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं के लिए रचनात्मक मूल्यांकन की व्यवस्था लागू कर दी गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 2023-24 सत्र से हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, संस्कृत, उर्दू, गृह विज्ञान, चित्रकला, वाणिज्य, संगीत गायन एवं संगीत वादन में रचनात्मक आकलन शुरू हो गया है।
बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने 18 अक्तूबर को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को लिखे पत्र में निर्देशित किया है कि एनईपी 2020 की धारा 4.34 में दी गई व्यवस्था के अनुरूप सभी स्कूलों के विद्यार्थियों का रचनात्मक आकलन सुनिश्चित किया जाए।
बोर्ड ने पिछले साल कार्यशाला आयोजित कर रचनात्मक मूल्यांकन के विषयवार टूल्स एवं टेक्नीक्स (उपकरण एवं तकनीक) जैसे वाद-विवाद, समूह चर्चा, मॉडल, चार्ट बनवाना, दृश्यात्मक प्रस्तुति, रोल-प्ले आदि गतिविधियों को समाहित करने के लिए प्रारूप तैयार किया था। इसके अंक तो मार्कशीट में नहीं जुड़ेंगे लेकिन बच्चों के कॅरियर निर्धारण में अहम भूमिका होगी। शिक्षक-अभिभावक बैठक (पीटीएम) में स्कूल की ओर से अभिभावकों को फीडबैक दिया जाएगा।
कमजोर बच्चों के लिए योजना बनाने में सहायक
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विद्यार्थियों के विकास के लिए रचनात्मक मूल्यांकन पर जोर दिया गया है। रचनात्मक मूल्यांकन कक्षा शिक्षण के साथ-साथ चलने वाली प्रक्रिया है। यह मूल्यांकन सीखने के बाद नहीं, बल्कि सीखने के साथ ही किया जाता है। इसका उद्देश्य है कि विद्यार्थियों के सीखने के स्तर एवं पढ़ाई जाने वाली पाठ्यवस्तु की समझ का आकलन शिक्षण के दौरान ही किया जा सके।
जिससे शिक्षक को अपनी शिक्षण तकनीक की प्रभावशीलता का फीडबैक प्राप्त हो सके तथा इसके आधार पर शिक्षक अपनी पाठ्ययोजना में आवश्यक परिवर्तन कर सके। इस आकलन के आधार पर कमजोर विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त उपचारात्मक शिक्षण की योजना बनाने में भी सहायता मिलती है। अतः इससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को और बेहतर बनाया जा सकता है।
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