यूपी बोर्ड की कॉपियों के मूल्यांकन से पहले गुरुवार को राजकीय क्वींस कॉलेज में प्रशिक्षण सत्र आयोजित हुआ। बोर्ड के वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय से संबद्ध 15 जिलों से 55 केंद्रों के उपनियंत्रक इसमें शामिल हुए। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने कहा कि मूल्यांकन में गड़बड़ी पर परीक्षक पर कार्रवाई होगी। सचिव ने बताया कि कॉपियों के मूल्यांकन के दौरान उत्तर नहीं बल्कि स्टेप्स पर अंक दें।
विद्यार्थी का उत्तर गलत हो लेकिन उत्तर देने का तरीका सही हो तो उसे अंक दिया जाना चाहिए। बेवजह किसी के अंक न काटें। उन्होंने बताया कि पहली बार स्टेटिक मजिस्ट्रेटों की तैनाती मूल्यांकन केंद्रों पर की जा रही है। शासन स्तर से भी इनकी मॉनीटरिंग हो रही है।
उन्होंने दो टूक कहा कि मूल्यांकन सड़क बनाने का कार्य नहीं जिसे दोबारा ठीक किया जा सके। इसलिए सावधानी अपेक्षित है। वाराणसी मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रदीप सिंह और अपर सचिव (यूपी बोर्ड) सतीश सिंह ने भी उपनियंत्रकों को मूल्यांकन की बारीकियां बताईं। डीआईओएस गिरीश कुमार सिंह और राजकीय क्वींस कॉलेज के प्रधानाचार्य गंगाधर राय ने स्वागत किया।
सबसे तेज और बेहतर बन रहा यूपी बोर्ड
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद देश के सबसे बड़े बोर्ड में एक है। हर साल लाखों विद्यार्थी इस बोर्ड से निकलकर उच्च शिक्षा की ओर बढ़ते हैं। यूपी बोर्ड सबसे तेज और बेहतर शिक्षण बोर्ड बनने की तरफ अग्रसर है। शासन स्तर से इसके लिए हर तरह की नई तकनीकी लाई जा रही है। परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने गुरुवार को बातचीत में भविष्य का रोडमैप साझा किया। कहा कि यूपी बोर्ड के बारे में सभी पुरानी भ्रांतियां व धारणाएं टूटने लगी हैं। इस साल 58.85 लाख बच्चों ने सकुशल परीक्षा दी। 30 वर्षों में पहली बार बोर्ड परीक्षा के दौरान पेपर लीक की घटना नहीं हुई। यह एक रिकॉर्ड है।
सचिव ने कहा कि एनसीईआरटी के सिलेबस के साथ यूपी बोर्ड बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा, नकलविहीन परीक्षा और शुचितापूर्ण मूल्यांकन देने के लिए कटिबद्ध है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर कहा कि इसे लागू करने की तैयारियां कर ली गई हैं। इस सत्र से छात्रों के लिए ओएमआर बेस्ड परीक्षा, 360 डिग्री मार्कशीट के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण शुरू किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यूपी बोर्ड के स्कूलों में कंप्यूटर और अंग्रेजी मीडियम की मान्यता भी पहले से कई गुना बढ़ी है।
मूल्यांकन का बहिष्कार करने वाले शिक्षकों से उन्होंने अपील की कि बच्चों के भविष्य की कीमत पर कोई आंदोलन न करें। यह सोचें कि यदि उनके खुद के बच्चे की कॉपी हो तो क्या वह मूल्यांकन का बहिष्कार करना चाहेंगे। बताया कि वर्ष-2022 तक के मूल्यांकन पारिश्रमिक का भुगतान भी करा दिया गया है। तकनीकी कारणों से वर्ष-2020 का भुगतान रुका है
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