Bihar Board 10th Result
बिहार बोर्ड के मैट्रिक रिजल्ट में अतिरिक्त विकल्प वाले प्रश्न का खूब फायदा विद्यार्थियों को मिला है। लगातार दूसरे साल बेहतर रिजल्ट होने में परीक्षा पैटर्न में बदलाव मुख्य कारण है। 2020 की बात करें तो बिहार बोर्ड ने जहां वस्तुनिष्ठ प्रश्न में विकल्प वाले प्रश्न बढ़ाए थे। वहीं, लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों में विकल्प वाले प्रश्न की संख्या बढ़ाई गयी थी। इसका असर रिजल्ट पर दिखा है। बोर्ड की मानें तो 2020 में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में 20 फीसदी विकल्प वाले प्रश्न पूछे गये थे। सौ अंक के प्रश्न में 60 प्रश्न विकल्प वाले थे। इसमें 50 का उत्तर देना था। दस प्रश्न यानी 20 फीसदी प्रश्न अतिरिक्त प्रश्न पूछे गये थे। लघु उत्तरीय प्रश्न में 75 फीसदी अतिरिक्त विकल्प दिये गये थे। वहीं, दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों में सौ फीसदी अतिरिक्त विकल्प वाले प्रश्न पूछे गये थे। बिहार बोर्ड ने 2018 में सभी विषयों में 50 फीसदी वस्तुनिष्ठ प्रश्न देने की शुरुआत की। वहीं लघु उत्तरीय प्रश्न में 50 फीसदी अतिरिक्त विकल्प देना शुरू किया। वहीं दीर्घ उत्तरीय में प्रत्येक में एक आंतरिक विकल्प दिया गया। इससे 2018 में 18.77 फीसदी रिजल्ट में बढ़ोतरी हुई।
परीक्षा देकर छात्र थे खुश
बोर्ड द्वारा अतिरिक्त विकल्प देने से परीक्षार्थी काफी खुश थे। परीक्षा के दौरान उत्तर देने में छात्रों को उत्तर देने में सुविधा हुई। प्रश्न छूटने और प्रश्न नहीं आने का उधेरबुन छात्रों में नहीं हुआ। एक प्रश्न में दो प्रश्न का विकल्प था। ऐसे में जिन छात्रों को कोई प्रश्न नहीं आ रहा था तो इसका फायदा उन्हें बहुविकल्प वाले प्रश्नों से खूब मिला।
इस बार भी रिजल्ट 80 प्रतिशत के पार
इस बार भी मैट्रिक का रिजल्ट बेहतर हुआ है। पिछले साल की तुलना में रिजल्ट में आंशिक गिरावट आयी है। इसबार छात्रों की सफलता का प्रतिशत 80.59 रहा। वहीं पिछली बार परीक्षार्थियों की सफलता का प्रतिशत 80.73 रहा था।
इस तरह का रिजल्ट पिछले दो साल से आ रहा है। इस बार तो प्रथम श्रेणी से पास करने वाले छात्रों की संख्या चार लाख पार कर गयी है। सफल छात्रों के चेहरे खिले हुए हैं। रिजल्ट को देखकर अभिभावक भी काफी प्रसन्न हैं। बेहतर रिजल्ट होने से स्कूल प्रशासन भी खुश है। पिछले दस वर्षों में मैट्रिक 2019 का रिजल्ट का रिकार्ड नहीं टूटा है। बोर्ड के रिकार्ड की माने तो अभी तक 80 फीसदी तक रिजल्ट किसी भी साल नहीं गया है। 2000 से 2018 तक की बात करें तो मैट्रिक में 75 फीसदी तक उत्तीर्णता का प्रतिशत रहा है। बोर्ड की माने तो 2000 से 2012 तक रिजल्ट 67 से 70 फीसदी तक ही रिजल्ट रहा। वर्ष 2014 और 2015 की बात करें तो रिजल्ट 75 फीसदी तक गया था। 2014 में जहां 75.05 फीसदी तो वहीं 2015 में 75.17 फीसदी परीक्षार्थी पास हुए।
2009 से 2018 तक ऊपर-नीचे होता रहा रिजल्ट
वर्ष 2009 से 2018 की बात करें तो रिजल्ट मे कई बार गिरावट आयी तो कई बार बढ़ा भी। 2018 की तुलना में 2019 में 11.89 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2015 से 2016 में मैट्रिक रिजल्ट में गिरावट आयी। 2014 में जहां 75.17 फीसदी परीक्षार्थी सफल हुए। वहीं 2016 में 47.15 फीसदी ही उत्तीर्ण हो पाए।
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